Neelam gupta

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सफर हमसफर के साथ

   ट्रेन के किस्से तो बहुत है मेरे पास एक श्रृंखला भी मैंने लिखी है "ट्रेन की वो रात"
जिसे आप कॉपी पर ही पढ सकते हैं।]
   एक ओर किस्सा में आप सब के सामने लाना चाहते हैं, जब मेरी शादी हुई थी मै मै पहली बार पति के साथ नोएडा आ रही थी।
  उसके पहले कभी ए सी ट्रेन में यात्रा नहीं की गई थी।
  पति ने दो टिकट फर्स्ट ए सी के बुक करा रखे थे।
थोड़ी घबराहट भी थी रात भर का सफर था।
मई का महीना था, पर ट्रेन में खुसते ही ठंड का अहसास हुआ, लगा ये कहां आ गए हैं।
पति हाथ पकड़ सीट पर ले गया।
ये क्या ???
यह कमबल तकिया सब मौजूद था।
मुझे विश्वास ही ना हुआ की ट्रेन में भी ये सुविधाएं हो सकती हैं।
  खैर हमने अपना समान जमाना शुरू किया।
   में जंजीर से सब सामान बांधने लगी, तो पतिदेव मुस्कुराए, बोले रहने वाले यहाँ कोई नहीं आता।
मै फिर हैरान !!
   पापा ने तब विशेष शिक्षा कर भेजा था समान का ध्यान रखना ....!
  पर्दे भी डैल गए!
   ये तो बेड रूम ही बन गया।
मैं पूरी तरह अचंभित था !!!!

पति देव अपनी सीट पर ना बैठ मेरे पास ही आ गए, मुझे फिर से पैसे दिए क्यों बिद्दत ???

   पति मेरी मासूमियत पर हंस पड़े।
  ट्रेन की अप जैसी, बढ़ती हमारी नजदिकियों की तरह भी बढ़ती प्रतीत होती है।
एक खूबसूरत यात्रा पर हम जा रहे थे।
मेरी सोच से कहीं अधिक खूबसूरत वो यात्रा थी।
उस रात हमनें बहुत बातें की, सारी बातें तो मुझे याद नहीं हैं।
  है एक बात हमेशा यादगार रही है ...!
मेरे पति ने पूंछा था, कि अगर तुम्हारा पति आठ हजार महीने कमाता हो तो तुम क्या करोगी ???
मैंने तपाक से कहा, उसी में घर गए लूंगी।

पति फिर बोले, अगर पांच हजार कमाए जाते हैं तो ...!
मैं थोड़ा मायूस होकर बोली, उसमे भी घर गई लूंगी।
फिर पतिदेव बोले, अगर दो हजार ही कमाएं तो ....!
मेरा चेहरा लाल हो गया, कुछ देर मै खामोश हो रही है .......!

    फिर बोली कि मै भी कमाऊंगी
हम दोनों साथ साथ घर गएंगे।

   तब पति ने कहा, ये सब पहले होना चाहिए था, नहीं।
जरूरतें कम नहीं करते हैं कमांडें के साधन बढ़ाते हैं।
ये बात आज तक मै नहीं भूल पाया।

उस दिन सचमुच उनसे प्यार हो गया था। और मेरा सफर यादगार बन गया था।


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3 Comments

बेहतरीन प्रस्तुति🙏

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Author Pawan saxena

10-Feb-2021 02:59 PM

bohut achcha lga ...

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Abhishek sharma

10-Feb-2021 02:27 PM

Good

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